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Ratan Tata Passes Away: परोपकार के प्रतीक, 4 कारण जिनसे देश हमेशा करेगा याद

Ratan Tata Passes Away: भारत के जाने-माने उद्योगपति और टाटा संस के मानद अध्यक्ष रतन टाटा का निधन हो गया है। उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। रतन टाटा न केवल टाटा समूह को नई ऊंचाइयों तक लेकर गए, बल्कि उन्होंने कई ऐसे ऐतिहासिक कार्य किए जिनके कारण दुनिया उन्हें सदैव याद रखेगी। समाज और देश के प्रति उनका योगदान एक मिसाल है, और उनके कार्यों ने उन्हें एक महान परोपकारी व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया।

1. कोरोना महामारी के दौरान देश की मदद

जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी का सामना कर रही थी और भारत भी स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा था, उस समय रतन टाटा और टाटा समूह ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टाटा समूह ने 1500 करोड़ रुपये की राशि दान की, जिससे देश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद मिली।

टाटा ट्रस्ट के प्रवक्ता देवाशीष राय के अनुसार, सामान्य परिस्थितियों में टाटा ट्रस्ट सालाना लगभग 1200 करोड़ रुपये दान करता है, लेकिन कोरोना महामारी के समय यह राशि बढ़ाकर 1500 करोड़ कर दी गई थी। यह दान न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सहायता के लिए था, बल्कि इसके तहत अस्पतालों में ऑक्सीजन संयंत्र, वैक्सीन उत्पादन और अन्य मेडिकल उपकरणों के लिए भी योगदान दिया गया। यह एक बड़ा कदम था, जिससे न केवल टाटा समूह बल्कि पूरे उद्योग जगत को प्रेरणा मिली कि किस प्रकार कठिन समय में राष्ट्र की मदद की जा सकती है।

2. हर आम आदमी के लिए कार का सपना साकार किया

रतन टाटा का सपना था कि हर भारतीय का निजी वाहन हो। आम भारतीयों के इस सपने को साकार करने के लिए 2008 में टाटा मोटर्स ने “नैनो” कार लॉन्च की। यह कार दुनिया की सबसे सस्ती कारों में से एक थी, जिसकी कीमत केवल 1 लाख रुपये के आसपास रखी गई थी।

यह कदम न केवल एक व्यापारिक सफलता थी, बल्कि यह सामाजिक सरोकार से जुड़ा एक महान प्रयास भी था। टाटा नैनो ने आम भारतीयों के लिए एक किफायती वाहन का सपना साकार किया और टाटा समूह की यह पहल हर भारतीय के लिए उपलब्धि का प्रतीक बनी। यह केवल एक सस्ती कार नहीं थी, बल्कि रतन टाटा की वह सोच थी जिसने हर भारतीय के चेहरे पर मुस्कान लाई।

Ratan Tata Passes Away: परोपकार के प्रतीक, 4 कारण जिनसे देश हमेशा करेगा याद

3. आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए छात्रवृत्ति

रतन टाटा ने शिक्षा के क्षेत्र में भी अहम योगदान दिया है। टाटा समूह ने हमेशा उन छात्रों की मदद की है जो आर्थिक संकट का सामना कर रहे होते हैं। टाटा ट्रस्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए कई छात्रवृत्तियों की शुरुआत की, जिनमें जे.एन. टाटा एंडोमेंट, सर रतन टाटा छात्रवृत्ति और टाटा छात्रवृत्ति प्रमुख हैं।

इसके साथ ही, टाटा एजुकेशन और डेवलपमेंट ट्रस्ट ने कॉर्नेल विश्वविद्यालय को 28 मिलियन डॉलर का टाटा स्कॉलरशिप फंड प्रदान किया, ताकि भारतीय छात्रों को वहां शिक्षा प्राप्त करने में वित्तीय सहायता मिल सके। इस छात्रवृत्ति से हर साल लगभग 20 छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला। रतन टाटा का यह योगदान शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम था, जिसने हजारों छात्रों का भविष्य संवारा।

4. स्वास्थ्य सेवाओं में अमूल्य योगदान

रतन टाटा का सबसे बड़ा योगदान स्वास्थ्य क्षेत्र में था। उन्होंने हमेशा स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को प्राथमिकता दी। टाटा समूह ने 2010 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल को 50 मिलियन डॉलर का दान दिया, जिससे वहां एक कार्यकारी केंद्र का निर्माण किया गया। यह दान केवल शिक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार के लिए था।

1970 के दशक में, रतन टाटा ने आगा खान अस्पताल और मेडिकल कॉलेज परियोजना की शुरुआत की, जिससे भारत में एक प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान की नींव रखी गई। इसके साथ ही, 2014 में टाटा समूह ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे को 950 मिलियन डॉलर का ऋण प्रदान किया और टाटा सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एंड डिज़ाइन की स्थापना की। यह संस्थान आईआईटी के इतिहास में सबसे बड़ी आर्थिक सहायता थी, जिसने भारत में तकनीकी शिक्षा को नया आयाम दिया।

रतन टाटा के इन परोपकारी कार्यों ने उन्हें एक ऐसे उद्योगपति के रूप में स्थापित किया, जिनके पास केवल व्यापारिक कौशल ही नहीं, बल्कि समाज और देश के प्रति गहरा संवेदनशीलता भी थी। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने न केवल व्यापार में सफलता प्राप्त की, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और समाजसेवा के क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

रतन टाटा: एक प्रेरणास्रोत

रतन टाटा का जीवन हम सभी के लिए एक प्रेरणा है। वह एक ऐसे उद्योगपति थे जिन्होंने केवल मुनाफे की चिंता नहीं की, बल्कि समाज और देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने व्यापार के साथ-साथ समाजसेवा में भी बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। उन्होंने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि व्यापार का असली उद्देश्य समाज के कल्याण में होना चाहिए, और यही कारण है कि उनके नाम के साथ परोपकार का अटूट संबंध जुड़ा हुआ है।

उनके जाने से भारतीय उद्योग जगत में एक युग का अंत हो गया है, लेकिन उनके कार्यों और उनके द्वारा किए गए परोपकारी योगदानों को देश हमेशा याद करेगा। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा, और उनके द्वारा दिखाया गया रास्ता हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहेगा।

रतन टाटा का नाम भारतीय इतिहास में एक स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा, और उनकी उपलब्धियां सदैव प्रेरणा देती रहेंगी। उनके योगदान से देश ने जो प्रगति की है, वह अनमोल है, और उनके जाने के बाद भी उनकी विरासत हमें हमेशा उनके महान कार्यों की याद दिलाती रहेगी।

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